■ छोटा शेर बड़ा संदेश…
#आज_का_संदेश
■ प्रकृति का संकेत “आशा”
【प्रणय प्रभात】
“अभी है दौर पतझड़ का,
जुदा पत्ते हुए सारे !
मगर उम्मीद शाखों को,
बहारें लौट आएंगी !!”
सारे पत्ते झड़ जाने के बाद अकेला खड़ा पेड़ प्रकृति का एक शाश्वत संकेत है। जिसमें भरपूर आशावाद समाया हुआ है। हमने बीते दिनों जो कुछ गंवाया, उसकी कमी बेशक़ अखरे, किंतु उसकी भरपाई समय के साथ प्रकृति करेगी ही। उस रूप में नहीं तो किसी और रूप में सही।
संदेश यही कि उम्मीद का दामन न छोड़ें। आस और विश्वास बनाए रखें बस। जीवन नीरस नहीं सरस लगने लगेगा। समझना बस यह होगा कि नई कोपलों के लिए पुराने पत्तों को झड़ना ही होता है।।
(प्रभात “प्रणय”)