तेरे होने का जिसमें किस्सा है
कोई शाम आयेगी मेरे हिस्से
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
गुनाह लगता है किसी और को देखना
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
बहुत सी बातें है, जो लड़के अपने घरवालों को स्पष्ट रूप से कभी
*जग से चले गए जो जाने, लोग कहॉं रहते हैं (गीत)*
Kash hum marj ki dava ban sakte,
माँ आओ मेरे द्वार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सफलता यूं ही नहीं मिल जाती है।
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज