"सोज़-ए-क़ल्ब"- ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ट्रस्टीशिप-विचार / 1982/प्रतिक्रियाएं
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
दुनिया बड़ी, बेदर्द है, यह लिख गई, कलम।।
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
माईया गोहराऊँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शायद मेरी क़िस्मत में ही लिक्खा था ठोकर खाना
प्रतिभाशाली या गुणवान व्यक्ति से सम्पर्क
मुझे उसको भूल जाना पड़ेगा
ज्ञान /बोध मुक्तक
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
आंखें हमारी और दीदार आपका
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे