किताबों की कीमत हीरे जवाहरात से भी ज्यादा हैं क्योंकि जवाहरा
प्रेम अपाहिज ठगा ठगा सा, कली भरोसे की कुम्हलाईं।
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
हिन्दी भाषा के शिक्षक / प्राध्यापक जो अपने वर्ग कक्ष में अंग
"मेरे पाले में रखा कुछ नहीं"
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
अब नरमी इतनी भी अच्छी नही फितरत में ।