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12 Jan 2023 · 1 min read

■ ग़ज़ल / रिसालों की जगह…

■ ग़ज़ल / रिसालों की जगह…
【प्रणय प्रभात】

■ अब हवालों की जगह है ना मिसालों की जगह।
चंद अख़बार हैं टेबल पे रिसालों की जगह।।

■लोग जो शब् को समझते हैं सहर से बेहतर।
उनको मिलता है अँधेरा ही उजालों की जगह।।

■ इतना छोटा था कि तानों से भर गया दामन।
अब नहीं दिल में जवाबों या सवालों की जगह।।

■ दौरे-हाज़िर में सलीक़ा है फ़क़त ख़ामोशी।
लोग लफ़्ज़ों को पकड़ते हैं ख़यालों की जगह।।

■ उनकी चाहत में है दो वक़्त की रोटी अब भी।
लोग तक़रीर लुटाते हैं निवालों की जगह।।

Language: Hindi
1 Like · 201 Views
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