■ #ग़ज़ल / #कर_ले
#ग़ज़ल
■ ख़यालों को खिलौना कर ले।।
【प्रणय प्रभात】
◆ हाथ को मोड़ के थोड़ा सा तिकोना कर ले।
थक गया हो तो ज़मीं को ही बिछौना कर ले।।
◆ दिल के दरबार में आना है जो चाहत तेरी।
अपनी लंबाई को दहलीज़ पे बोना कर ले।
◆ खुरदुरे बोल में मरमर सी चमक आएगी,
अपने एहसास को थोड़ा सा सलोना कर ले।।
◆ कुछ नहीं रक्खा है दानिशवरों की दुनिया में,
दिल है बच्चे सा ख़यालों को खिलौना कर ले।।
◆ हर क़दम आंच दहकती है ग़मों की इस जा।
रोकता कौन है जा रूह को सोना कर ले।।
◆ छोड़ दे टोटके ताबीज़ ये जंतर मंतर।
चाशनी सोच से हर एक पे टोना कर ले।।
● देखने वाला नहीं कोई भी आंसू तेरे।
अपने क़ाबू में ये हालात का रोना कर ले।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)