■ खोखलेपन की खुलती पोल!
#अँधेर-नगरी / #मद्यप्रदेश
■ भारत-पर्व में आए चहेते
★ कुटुंब का कवि सम्मेलन
★ जातिवाद, क्षेत्रवाद हावी
【प्रणय प्रभात】
लोकतंत्र के लोक उत्सव “भारत पर्व” का आयोजन बीती 26 जनवरी की रात हमारे शहर में नगरपालिका के ऑडिटोरियम में किया गया। जिसमें कवि सम्मेलन ने सत्तारूढ़ भाजपा के भाई-भतीजावाद की पोल खोल कर रख दी। कवि सम्मेलन ने प्रदेश की सरकार और संगठन के समरसता वाले दावों पर प्रश्न-चिह्न लगाने का काम किया।
संस्कृति विभाग के अंतर्गत स्वराज संस्थान द्वारा भेजे गए चार रचनाकारों में तीन का वास्ता एक ही क्षेत्र बुंदेलखंड से था। मज़े की बात यह है कि चारों एक ही समाज के थे। संयोग की बात है कि सरकार के मार्गदर्शी संगठन के मुखिया बागी उसी क्षेत्र व समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और विभाग व संस्थान के तमाम आला अफसर भी। आमंत्रित रचनाकारों में छतरपुर के सूरज पंडित, सतना के अभिराम पाठक, दतिया की अपूर्वा चतुर्वेदी सहित बुंदेलखंड की सीमा से सटे ग्वालियर के हेमंत शर्मा शामिल थे।
विसम्बना और शर्म की बात यह है कि आयोजन के ठेकेदारों ने इस आयोजन में महाकवि मुक्तिबोध की नगरी के सारे रचनाधर्मियों की घोर उपेक्षा की। जिन्हें एक श्रोता अथवा नागरिक के तौर पर भी आमंत्रित नहीं किया गया।
दर्शक-दीर्घा में मौजूद चेहरों से ऐसा लगा मानो आयोजन आम नागरिकों नहीं नेताओं व अधिकारियों के लिए ही किया गया था। बेहतर होता यदि साहित्यिक आयोजन की अध्यक्षता कम से कम किसी साहित्यसेवी से कराई जाती।
बहरहाल, उक्त अजीब से संयोग ने सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास जैसे दावे के खोखलेपन की पोल खोलने का काम ज़रूर किया। जो कइयों की आंखें खोलने वाला साबित हो सकता है। बशर्ते चंबल वाली गैरत जाग जाए। जो अरसे से सुप्त होकर लुप्त होने की कगार पर आ गई है। बदले हुए हालात में अच्छे दिन शायद यही हैं कि ख़ुद गुलगुले खाओ और दूसरों के गुड़ खाने पर उंगली उठाओ। बहुत खूब।।
रिपोर्टिंग का मतलब प्रेस नोट को कॉपी पेस्ट करना नहीं होता। जो गलत दिखेगा वो अखरेगा। जो अखरेगा वो जनता की अदालत में रखा जाएगा। ताकि सनद रहे और ज़रूरत के वक़्त काम आए। मामला आखिर देश के प्रधान सेवक जी के वचन के सम्मान का भी है। जिनके बलबूते सूबाई सूरमा सत्ता के सिंहासन पर बैठे हैं और आगे भी बैठने के जुगाड़ में हैं।