💐प्रेम कौतुक-469💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*सबके लिए सबके हृदय में, प्रेम का शुभ गान दो【मुक्तक 】*
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
मेरे मन के धरातल पर बस उन्हीं का स्वागत है
मुझमें अभी भी प्यास बाकी है ।
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
रिश्ते-नाते स्वार्थ के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
न हँस रहे हो ,ना हीं जता रहे हो दुःख
कभी कभी ज़िंदगी में लिया गया छोटा निर्णय भी बाद के दिनों में
स्वयं द्वारा किए कर्म यदि बच्चों के लिए बाधा बनें और गृह स्