■ काब्यमय प्रयोगधर्म
■ प्रयोगात्मक कवित-
(राष्ट्रगीत के मुखड़े के हर शब्द पर केंद्रित लघु-कविता)
【प्रणय प्रभात】
“जन” जितने सारे आहत।
“गण” जितने पाते राहत।
“मन” व्याकुल करता क्रंदन ।
“अधिनायक” का अभिनंदन।।
“जय” कहने में क्या जाता?
“है” माता आखिर माता।।
“भारत” वर्ष रहे आबाद।
“भाग्य-विधाता” ज़िंदाबाद।।
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