मैं और वो
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
सितारे हरदम साथ चलें , ऐसा नहीं होता
मित्रता दिवस खोजूं सत्य चरित्त
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल,
प्यार में लेकिन मैं पागल भी नहीं हूं - संदीप ठाकुर
चित्र कितना भी ख़ूबसूरत क्यों ना हो खुशबू तो किरदार में है।।
*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*
*आओ लक्ष्मी मातु श्री, दो जग को वरदान (कुंडलिया)*