■ कहानी घर घर की….
■ सीधी-सपाट…
निस्संदेह “मंथरा” अविवाहित थी। इसके बाद भी वो अपने पीछे एक पूरा वंश छोड़ कर गई है। जो उसी के पद्चिह्नों पर चल रहा है त्रेता युग से कलियुग तक। वो भी पूरी खानदानी ईमानदारी और पूर्ण मनोयोग से। लगभग हर बस्ती में।।
■ प्रणय प्रभात ■