■ कविता-
#कविता-
■ पैग़ाम : कायर राजनीति के नाम
【प्रणय प्रभात】
“कायरता का रंग मिला दो चन्दन जैसी माटी में।
शोलों को दावानल कर दो हर जंगल हर घाटी में।।
उग्रवाद के बीज यहाँ जो चाहे उसको बोने दो।
हरे-भरे हर इक जंगल में ख़ूनी होली होने दो।।
क्षुद्र स्वार्थों वाली सत्ता नहीं हाथ से जाने दो।
वर्दीधारी सिंह यहां पर मरते हैं मर जाने दो।।
मावस को संरक्षण दे दो पूनम के संग घात करे।
ज़ालिम को नाखून सौंप दो जो घायल जज़्बात करे।।
रक्तबीज को रक्तपान कर फिर ज़िंदा हो जाने दो।
निंदा के हर इक जुमले को शर्मिंदा हो जाने दो।।
निरपराध है हर उन्मादी रक्षक की ही ग़लती है।
यही घिनौनी सोच है जिससे कुटिल सियासत चलती है।।
सुनो देश के भाग्य-विधाता शूरवीर हो नहीं डरो।
अपनी औलादों का जीवन नक्सलियों को भेंट करो।।
खुली चुनौती कड़ी सुरक्षा में रहते अय्याशों को।
कांधों पर ढो कर तो देखो निज परिजन की लाशों को।।
बातचीत की करो गुज़ारिश शक्कर घोलो बोली में।
भूषण और विभूषण मानो रत्न डाल दो झोली में।।
हंस मरें तो मर जाने दो पालो गिद्धों, श्वानों को।
अलंकरण दे डालो अब की बार सभी शैतानों को।।
है वोटिंग मशीन की चाहत, मांग यही मतपेटी की।
नक्सलियों के साथ भाँवरें डालो अपनी बेटी की।।”
■प्रणय प्रभात■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
(छत्तीसगढ़ डीआरजी के 11 जवानों की कायराना हत्या से आहत हों तो आक्रोश को अपना वैचारिक समर्थन दें।
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