दुनिया में कहीं नहीं है मेरे जैसा वतन
तुम्हीं रस्ता तुम्हीं मंज़िल
हम अप्पन जन्मदिन ,सालगिरह आ शुभ अवसर क प्रदर्शन क दैत छी मुद
आप वक्त को थोड़ा वक्त दीजिए वह आपका वक्त बदल देगा ।।
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
इक मेरे रहने से क्या होता है
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
*जरा काबू में रह प्यारी,चटोरी बन न तू रसना (मुक्तक)*