सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
ये दिल्ली की सर्दी, और तुम्हारी यादों की गर्मी
सजना है मुझे सजना के लिये
स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
वाकई, यह देश की अर्थव्यवस्था का स्वर्ण-काल है। पहले "रंगदार"
तू तो सब समझता है ऐ मेरे मौला