■ कटाक्ष / दरवाज़ा
#कटाक्ष-
“खुशनसीब तो हो तुम कि तुम्हें
खुला मिल गया हमारे दिल का दरवाजा।
वर्ना इसमें ना तो कोई एण्ट्रियां
और ना ही बजें कोई घण्टियां।
ऐरा-गैरा-नत्थू-खैरा समझ रखा है क्या यार….?
#प्रणय_प्रभात
#कटाक्ष-
“खुशनसीब तो हो तुम कि तुम्हें
खुला मिल गया हमारे दिल का दरवाजा।
वर्ना इसमें ना तो कोई एण्ट्रियां
और ना ही बजें कोई घण्टियां।
ऐरा-गैरा-नत्थू-खैरा समझ रखा है क्या यार….?
#प्रणय_प्रभात