याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
दौड़ना शुरू करोगे तो कुछ मिल जायेगा, ठहर जाओगे तो मिलाने वाल
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
सिर्फ कह के नही कर के दिखाना है मुझको
🙏प्रथम पूज्य विघ्न हर्ता 🙏
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दिये को रोशननाने में रात लग गई
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
रस्म उल्फत की यह एक गुनाह में हर बार करु।
*कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)*
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
আজ চারপাশ টা কেমন নিরব হয়ে আছে
नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज की नाव ही बचपन था ।