ग़ज़ल (मिलोगे जब कभी मुझसे...)
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
जलधर
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
इक कसक ने पहलू में, पनाह तो ली है।
#काफिले
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
हद से ज्यादा बढी आज दीवानगी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
सतयुग, द्वापर, त्रेतायुग को-श्रेष्ठ हैं सब बतलाते
ज़िंदगी सबको अच्छी लगती है ,
घर आ जाओ अब महारानी (उपालंभ गीत)
*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*