■ एक_पैग़ाम :-
#एक_पैग़ाम :-
■ आने वाले कल के नाम!!
【प्रणय प्रभात】
“दिन-रात की दो अलग-अलग पारियों में काम और जीवन देखते ही देखते तमाम।”
इस कड़वे सच के बीच धड़कते #युवा दिलों की पीड़ा और त्रासदी को मुखर करता एक गीत अस्तित्व पा रहा है। मन हो तो पढ़िएगा आज 24 सितम्बर को रात। रात की तन्हाई को सिरहाने लगा कर।
कुछ महसूस कर पाएं तो मुझे भी बताएं। संजीदगी के साथ। शुक्रिया।।
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