*आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण (कुंडलिया)*
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
समस्त वंदनीय, अभिनन्दनीय मातृशक्ति को अखंड सौभाग्य के प्रतीक
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
आसमान की छोड़ धरा की बात करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
- लोग भूतकाल नही वर्तमान देखते है -
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
दुनिया देखी रिश्ते देखे, सब हैं मृगतृष्णा जैसे।
गणेश वंदना (धत्तानंद छंद )
असत्य पर सत्य की जीत तभी होगी जब
महोब्बत करो तो सावले रंग से करना गुरु
अर्कान - फाइलातुन फ़इलातुन फैलुन / फ़अलुन बह्र - रमल मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़ो मक़़्तअ