■ एकाकी जीवन
■ एक बड़ा सच…
संरक्षण-विहीन लोगों की ज़िंदगी एक कटी पतंग से बेहतर नहीं। उसे हर कोई लूटने और कब्ज़े में लेने को बेताब रहता है। बिल्कुल बेनामी ज़मीन या अनाम जायदाद की तरह। अमूमन यही हश्र एकाकी लोगों का है, जिन्हें वक़्त की हवा लुटेरी दुनिया की निगाहों में लाने का काम करती है।
■प्रणय प्रभात■