पकौड़े चाय ही बेचा करो अच्छा है जी।
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
अगर आपमें क्रोध रूपी विष पीने की क्षमता नहीं है
" can we take a time off from this busy world, just to relax
The emotional me and my love
उसकी वो बातें बेहद याद आती है
दोहा त्रयी. . . . . प्रेम
श्रीकृष्ण की व्यथा....!!!!
"बेखबर हम, नादान तुम " अध्याय -2 "दुःख सच, सुख मात्र एक आधार है |"
हर इन्सान परख रहा है मुझको,
कितना दूर जाना होता है पिता से पिता जैसा होने के लिए...
आप हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे , अपने
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
स्वयं के परिचय की कुछ पंक्तियां