" आज चाँदनी मुस्काई "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*ओ मच्छर ओ मक्खी कब, छोड़ोगे जान हमारी【 हास्य गीत】*
क़दर करना क़दर होगी क़दर से शूल फूलों में
जिंदगी भर ख्वाहिशों का बोझ तमाम रहा,
प्रेमचंद ने ’जीवन में घृणा का महत्व’ लिखकर बताया कि क्यों हम
जमाना जीतने की ख्वाइश नहीं है मेरी!