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28 May 2023 · 3 min read

■ आप भी बनें सजग, उठाएं आवाज़

#आज से करें मुखर विरोध
■ आप भी बनें सजग, उठाएं आवाज़
★ सेहत और बज़ट को चपत के ख़िलाफ़
【प्रणय प्रभात】
आप सब कभी न कभी एक रेल-यात्री के तौर पर उस नक़्क़ाली से रूबरू ज़रूर हुए होंगे, जिसका स्मरण आज मैं कराने जा रहा हूँ। यह अलग बात है कि सेहत और धन दोनों की बर्बादी से जुड़े इस मुद्दे को किसी ने उठाने की दिशा में कोशिश नहीं की। संभव है कि आज इस बारे में आम सहमति बने और यह विषय एक जनांदोलन बन कर देश भर में उभरे। जो कि आम जनहित के लिए लाभकारी होगा।
आपने देखा होगा कि देश व प्रदेशों की राजधानी से लेकर छोटे-बड़े नगरों, महानगरों और कस्बों में स्थित रेलवे स्टेशनों व जंक्शनों के प्लेटफॉर्म पर मिलते-जुलते नाम वाले नक़ली खाद्य व पेय उत्पादों की बाढ़ सी आई हुई है। जिसके वेग में मूल व मानक उत्पाद दशकों से ग़ायब बने हुए हैं। नतीज़तन प्लेटफॉर्म से लेकर दौड़ती ट्रेनों के अंदर तक तमाम नामी कम्पनियों के उत्पाद मुहैया ही नहीं हैं। ख़ास कर जनरल और स्लीपर श्रेणी के किसी भी कोच में, किसी भी रूट पर। जो एक बड़ी धोखा-धड़ी का जीवंत प्रमाण है। जिसे दुःखद, शर्मनाक और विडम्बनापूर्ण कहा जा सकता है। आज़ादी के अमृतकाल तक जारी ज़हर की धड़ल्ले से खपत और अरबों की चपत का एक ख़तरनाक खेल।
मिलते-जुलते नाम वाली नक़ली चीजों की क़ीमत भी प्लेटफार्म से इतर चलती ट्रेन में 5 से 25 रुपए तक अधिक है। जो एक सशक्त माफिया और सिस्टम की खुली मिली-भगत का प्रमाण है। किसी भी नामी कम्पनी का कोई माल कहीं उपलब्ध नहीं होना विकल्प के तौर पर जाली चीजों के उपयोग की बाध्यता का कारण बनता आ रहा है। बतौर ग्राहक हर श्रेणी के यात्रियों के साथ हो रही इस खुली लूट का ज़िम्मेदार कौन
…? यह सवाल आज एक बार फिर अपना जवाब मांगता है। उस सरकार से, जो जनहित में बड़े और कड़े क़दम उठाने का दम्भ भरते हुए एक बार फिर सत्ता में वापसी के लिए दिन-रात एक किए हुए है। उस मंत्रालय से, जो प्रत्येक यात्री के हित-संरक्षण के दावे आए दिन किसी न किसी योजना के माध्यम से करता है। सवालिया निशान खाद्य-सुरक्षा के मानक तय करने व उनका अनुपालन कराने के लिए गठित संस्थानों की भूमिका पर भी खड़ा होता है, जो घोर बेपरवाही की मिसाल बने हुए हैं।
यदि आप अपनी व अपनों की सेहत को लेकर संवेदनशील हैं। यदि आप एक सजग नागरिक के तौर पर जनहित से सरोकार रखते हैं, तो आपको इस लूट-तंत्र के विरुद्ध मुखर होना ही चाहिए। ताकि जन-स्वास्थ्य से खिलवाड़ का यह खुला खेल बन्द हो। आज का दौर सोशल मीडिया का है। आप और हम ऐसे नक़ली उत्पादों की पोल विभिन्न माध्यमों से तब तक खोल सकते हैं, जब तक कि इस पर पूर्ण विराम न लगे। हम रेलवे, आईसीआरटीसी व फ़ूड-सेफ्टी जैसे उपक्रमों तक ऑनलाइन आपत्ति व शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं। जिसका वास्ता औरों से पहले अपनी भलाई से भी है। उम्मीद है कि आप जागेंगे और जागृत होने का साहसिक परिचय पूरी दमखम से देंगे।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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