*जिंदगी में साथ जब तक, प्रिय तुम्हारा मिल रहा (हिंदी गजल)*
हनुमान वंदना त्रिभंगी छंद
साहित्य सृजन की यात्रा में :मेरे मन की बात
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
चंद्रयान तीन अंतरिक्ष पार
काश ऐसा हो, रात तेरी बांहों में कट जाए,
दुर्लभ हुईं सात्विक विचारों की श्रृंखला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
क्रांक्रीट का जंगल न बनाएंगे..
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।