यहां ला के हम भी , मिलाए गए हैं ,
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
सूझ बूझ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
करुंगा अब मैं वही, मुझको पसंद जो होगा
दूसरो की लाइफ मैं मत घुसा करो अपनी भी लाइफ को रोमांचक होगी।
Sometimes even after finishing the chapter and bidding it a
विश्व कप-2023 फाइनल सुर्खियां
*** रेत समंदर के....!!! ***
ये भी तो ग़मशनास होते हैं
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
मुकद्दर से बना करते हैं रिश्ते इस ज़माने में,
sp112 पत्थर जैसे कई/ अपने अहम की