राष्ट्र सेवा के मौनव्रती श्री सुरेश राम भाई
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
(6) सूने मंदिर के दीपक की लौ
कहो तुम बात खुलकर के ,नहीं कुछ भी छुपाओ तुम !
आवश्यकता पड़ने पर आपका सहयोग और समर्थन लेकर,आपकी ही बुराई कर
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
ईमान धर्म बेच कर इंसान खा गया।
वक्त बनाये, वक्त ही, फोड़े है, तकदीर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
💐प्रेम कौतुक-394💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – तपोभूमि की यात्रा – 06