■ आज की ग़ज़ल
#ग़ज़ल :-
■ और दूर-दूर रहे…!
【प्रणय प्रभात】
◆ सफ़र में साथ रहे और दूर-दूर रहे।
हमारे बीच में किस तरहा के फ़ितूर रहे।।
◆ यूँ तिरी याद है मेरे ज़हन से बावस्ता।
कि जैसे आँख में बीनाई रहे नूर रहे।।
◆ यकीं की शक़्ल में हो या वफ़ा की सूरत में।
दरमियाँ अपने कोई वास्ता ज़रूर रहे।।
◆ ये सुना है कि गली तंग बहुत है दिल की।
क्या करे इश्क़ वहाँ जिस जगह ग़ुरूर रहे??
◆ अब न प्याले में नशा है न मज़ा साक़ी में।
तू निगाहों से पिला दे तो कुछ सुरूर रहे।।
◆ आओ, मिल-बैठ के शिक़वे तमाम दूर करें।
भाड़ में जाए जहां, दिल तो बेकुसूर रहे।।
◆ ज़ीस्त नैमत है, न हो जाए ज़रा बेक़द्री।
कैसे जीना है इसे, बस यही शऊर रहे।।
👍👍👍👍👍👍👍👍👍
संपर्क:-
“श्री कृष्ण कृपा”
(भटनागर सदन), वार्ड-03
श्योपुर (मध्यप्रदेश)