■ आज का शेर
“ख़्वाब की दुनिया का वास्ता खुली आँखों और दिन के उजालों से नहीं हो सकता। ख़्वाब चेतन नहीं अर्द्धचेतन मन की विरासत है।”
【प्रणय प्रभात】
“ख़्वाब की दुनिया का वास्ता खुली आँखों और दिन के उजालों से नहीं हो सकता। ख़्वाब चेतन नहीं अर्द्धचेतन मन की विरासत है।”
【प्रणय प्रभात】