■ आज का विचार
■ बुद्धिमता…
(प्रणय प्रभात)
“मौजूदा समय की कड़वी चुनौतियों की अनदेखी कर मुगालतों में जीना बुद्धिमता नहीं। विवेकशील वो है जो झूठे विशेषणों में उलझ कर पर-निंदक व आत्म-मुग्ध बने रहने के बजाय समय के आह्वान को स्वीकार लेता है। गौरवशाली अतीत की सार्थकता भी तभी है जब आपका वर्तमान बेहतर हो, जो मूलत: भविष्य की बुनियाद भी है।”
स्मरण रहे, पर-निंदा का चाव जहां आपकी साख, ऊर्जा और विश्वस्नीयता के ह्रास का कारण बन सकता है। वहीं आत्म-मुग्धता आपसे आपकी गति, प्रगति और ललक छीन सकती है। बुद्धिमता उक्त दोनों विकारों से सहज व सतत दूरी बनाए रखने में है। यदि चाह जीवन मे यश, प्रतिष्ठा व सफलता की है।