इच्छाओं को अपने मार नहीं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
■ हिंदी सप्ताह के समापन पर ■
#अंतिम प्रश्न !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
अदब और अदा में बड़ा अंतर होता है हुज़ूर,
जब रात बहुत होती है, तन्हाई में हम रोते हैं ,
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
आत्म चिंतन करो दोस्तों,देश का नेता अच्छा हो
*मेरी कविता कहती है क्या*
कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी
सफर दर-ए-यार का,दुश्वार था बहुत।
हमें ईश्वर की सदैव स्तुति करनी चाहिए, ना की प्रार्थना