■ आज का मुक्तक…
■ मुक्तक का मन्तव्य…
हार को जीत में बदलने का मंत्र है हताशा के विरुद्ध एक मीठी सी मुस्कान या ज़ोरदार ठहाका। जो जीते हुए को जीत के बाद भी जीत का गर्व नहीं करने देगा। कभी आज़मा कर देखिएगा इस नुस्खे को। पता चलेगा कि हारना एक अलग चीज़ है और हार मान जाना अलग बात।
【प्रणय प्रभात】