*अच्छा जिसका स्वास्थ्य है, अच्छा उसका हाल (कुंडलिया)*
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
बिगड़ी किश्मत बन गयी मेरी,
मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
महाकाल
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
नारी री पीड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मनुष्य एक बहुफलीय वृक्ष है, जैसे आप आम, अमरूद पहचानते और बुल
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
गुरु अमरदास के रुमाल का कमाल
जिंदगी का यह दौर भी निराला है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
इस बरखा रानी के मिजाज के क्या कहने ,
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे