जो गुजर रही हैं दिल पर मेरे उसे जुबान पर ला कर क्या करू
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
ये तेरी यादों के साएं मेरे रूह से हटते ही नहीं। लगता है ऐसे
दिव्यांग वीर सिपाही की व्यथा
चाय की आदत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बैठी थी मैं सजन सँग कुछ कह के मुस्कुराए ,
प्रशंसा नहीं करते ना देते टिप्पणी जो ,
Not longing for prince who will give you taj after your death
#विश्व_वृद्धजन_दिवस_पर_आदरांजलि
जयंती विशेष : अंबेडकर जयंती