■ आज का आह्वान
#संरक्षण_का_लें_संकल्प
■ आज विश्व गौरैया दिवस पर
【प्रणय प्रभात】
यह एक महासंयोग ही है कि शक्ति की भक्ति के प्रतीक नवरात्रि से मात्र दो दिन पहले आज “विश्व गौरैया दिवस” है। जो प्रति वर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है। नन्ही गौरैया के जीवन और अस्तित्व के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए। साल 2010 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई थी. किंतु इनके संरक्षण की दिशा में कोई प्रयास सरकारी स्तर पर 12 सालों में नहीं हो सका। पिछले कुछ समय से गौरैयाओं की संख्या में काफी कमी आई है। जिसकी सबसे बड़ी वजह मोबाइल टावर्स से उत्सर्जित रेडियोधर्मी प्रभाव को माना जाता है। प्राकृतिक आपदा ने भी इनकी संख्या घटाई है। इसके अलावा जलवायु-परिवर्तन भी एक बड़ी वजह है। हम सभी को आज इनके संरक्षण का पुनीत संकल्प लेना होगा। ताकि इनकी ऊर्जा भरी चहचहाहट मुंडेरों से आंगन तक सुनाई देती रहे। स्मरण रहे कि ग्रीष्मकाल गौरैया के लिए मारक बनता है। आवश्यक है कि हम इनके दाने-पानी सहित सुरक्षित आश्रय व प्रजनन में मानवोचित सहयोग बनाए रखें। घर के किसी भी हिस्से में मेहनत से बनाए गए इनके घोसलों को बना रहने दें। चूजों के बड़े व समर्थ होने तक। अन्य जीवों के ख़तरे के प्रति सजग रह कर घोसलों और चूजों की थोड़ी सी निगरानी करें। यह छोटे-छोटे प्रयास न श्रमसाध्य हैं और ना ही खर्चीले। कर के देखिए एक बार पहल। यक़ीन मानिए दिल से रूह तक बेहद सुक़ून महसूस करेंगे। इस दिवस विशेष के उपलक्ष्य में पढ़िए मेरी एक छोटी सी संदेशप्रद कविता भी:–
“चिड़िया की चहक, बिटिया की महक
घर को उपवन कर देती है।
हो कोई घुटन, हो कोई थकन,
प्रमुदित हर मन कर देती है।
हो चहक सदा, हो महक सदा,
बस इतनी शपथ उठाएंगे।
आओ सोचें, संकल्प करें,
हम मिल कर इन्हें बचाएंगे।।”
आइए! मातारानी का बाल-स्वरूप मानी जाने वाली कन्याओं (बेटियों) की तरह प्यार-दुलार चिड़ियाओं को देने की शपथ उठाएं तथा समूचे मानव समुदाय को संदेश दें कि चिड़िया भी बिटिया की तरह से संरक्षण व पोषण की अधिकारी है। नहीं भूला जाना चाहिए कि हमारी संस्कृति सदैव से बिटिया और चिड़िया में साम्य स्थापित करती आ रही है। ऐसे में शक्ति-साधना के महापर्व पर यह पुनीत संकल्प तो बनता ही है। सोचिएगा ज़रूर। हो सकता है कि नव संवत्सर की अगवानी का यह सर्वोत्तम उपाय लगे आपको।।
■ प्रणय प्रभात ■
संपादक / न्यूज़ & व्यूज़
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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