■ आग लगाऊ मीडिया
■ शर्मनाक भूमिका आग लगाऊ मीडिया की…
पहले बाघेश्वर धाम और फिर रामचरित मानस से जुड़े निरर्थक विवाद की आंच को हवा देता बेशर्म मीडिया कभी जनहित व सार्वजनिक सरोकारों की बात बिना विवाद करेगा या नहीं? देश की राजधानी के उन्मादी माहौल की सतही पड़ताल करने वाले मीडिया में साहस हो तो जेएनयू की अराजकता के कारणों और उन्दयों की मंशा का खुलासा करे। कलई खोले सिस्टम की उस उदारता और बाध्यता की, जिसकी वजह से हिंसा का ताण्डव राजधानी का नसीब बन गया है।
【प्रणय प्रभात】