■ अटल सच…..
#भ्रम_मिटाए
■ न धूप अपनी, न छांव….
धूप और छांव शाश्वत हैं। जिनका अस्तित्व अनादिकाल से है। अनंतकाल तक रहना तय है। दोनों धरती पर बसने वाले प्रत्येक जीव के लिए है। मगर सच यह है कि अपने आंगन में आने वाली धूप-छांव अपनी होकर भी अपनी नहीं। ऐसे में संयोगवश मिलने वाले नश्वर जीवों को सिर्फ़ अपना मानना क्या स्वयं से छल नहीं। जब शाश्वत धूप-छांव आपके पास रहने के बाद आपकी नही तो नश्वर इंसानों से यह अपेक्षा क्यों…? चिंतन करें एक बार। सच समझ आने के बाद माया-मोह स्वतः क्षीण हो जाएगा। किसी के मिलने को केवल एक संयोग और सौभाग्य मानें। स्वामित्व का भ्रम भूल कर भी न पालें। सदैव प्रसन्न रहेंगे।।
【प्रणय प्रभात】