संयम रख ऐ जिंदगी, बिखर सी गई हू |
"घमंड के प्रतीक पुतले के जलने की सार्थकता तब तक नहीं, जब तक
आम, नीम, पीपल, बरगद जैसे बड़े पेड़ काटकर..
जाओ कविता जाओ सूरज की सविता
यही सच है कि हासिल ज़िंदगी का
अद्भुद भारत देश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
ये जो आँखों का पानी है बड़ा खानदानी है
रंग -भेद ना चाहिए ,विश्व शांति लाइए ,सम्मान सबका कीजिए,
वफ़ा के बदले हमें वफ़ा न मिला
दौर चिट्ठियों का बहुत ही अच्छा था
*भॅंवर के बीच में भी हम, प्रबल आशा सॅंजोए हैं (हिंदी गजल)*