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10 Feb 2023 · 1 min read

■ अंतर…

■ दिखता है फ़र्क़…
प्रशंसा दिमाग़ से भी होती है, जो अलग से पहचान में आती है। उसमें सिर्फ़ स्वार्थ का भाव भरा होता है। जिसकी झलक प्रशंसा का वाक्य ख़त्म होते ही मिल जाती है। दिल से निकली प्रशंसा निष्काम भावना पर आधारित होती है।
【प्रणय प्रभात】

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