Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Nov 2024 · 1 min read

■मतलब-परस्ती■

■मतलब-परस्ती■

1 Like · 10 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शीर्षक -  आप और हम जीवन के सच
शीर्षक - आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
पलटूराम में भी राम है
पलटूराम में भी राम है
Sanjay ' शून्य'
दुनिया के मशहूर उद्यमी
दुनिया के मशहूर उद्यमी
Chitra Bisht
असली अभागा कौन ???
असली अभागा कौन ???
VINOD CHAUHAN
*देती धक्के कचहरी, तारीखें हैं रोज (कुंडलिया*
*देती धक्के कचहरी, तारीखें हैं रोज (कुंडलिया*
Ravi Prakash
प्रदाता
प्रदाता
Dinesh Kumar Gangwar
इक उम्र जो मैंने बड़ी सादगी भरी गुजारी है,
इक उम्र जो मैंने बड़ी सादगी भरी गुजारी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बसंत
बसंत
Lovi Mishra
एक मुक्तक
एक मुक्तक
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
Suryakant Dwivedi
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
Rekha khichi
*जीवन को सुधारने के लिए भागवत पुराण में कहा गया है कि जीते ज
*जीवन को सुधारने के लिए भागवत पुराण में कहा गया है कि जीते ज
Shashi kala vyas
तू नर नहीं नारायण है
तू नर नहीं नारायण है
Dr. Upasana Pandey
घर आना दोस्तो
घर आना दोस्तो
मधुसूदन गौतम
बावजूद टिमकती रोशनी, यूं ही नहीं अंधेरा करते हैं।
बावजूद टिमकती रोशनी, यूं ही नहीं अंधेरा करते हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
करके इशारे
करके इशारे
हिमांशु Kulshrestha
नेता जब से बोलने लगे सच
नेता जब से बोलने लगे सच
Dhirendra Singh
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
Kshma Urmila
श्राद्ध- पर्व पर  सपने में  आये  बाबूजी।
श्राद्ध- पर्व पर सपने में आये बाबूजी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जन्म जला सा हूँ शायद...!
जन्म जला सा हूँ शायद...!
पंकज परिंदा
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बदलती जिंदगी की राहें
बदलती जिंदगी की राहें
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं
यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं
Sonam Puneet Dubey
कभी धूप तो कभी बदली नज़र आयी,
कभी धूप तो कभी बदली नज़र आयी,
Rajesh Kumar Arjun
"इस कायनात में"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
Loading...