■नया दौर, नई नस्ल■
■नया दौर, नई नस्ल■
“मिल गई मिट्टी में सारी ज़िन्दगी।
वो समझती है कि सोना बन गई।।
प्यार से गुड़िया कहा करता था बाप।
शौक से बेटी खिलोना बन गई।।”
(■प्रणय प्रभात■
■नया दौर, नई नस्ल■
“मिल गई मिट्टी में सारी ज़िन्दगी।
वो समझती है कि सोना बन गई।।
प्यार से गुड़िया कहा करता था बाप।
शौक से बेटी खिलोना बन गई।।”
(■प्रणय प्रभात■