■||तुम चलो हम आ रहे हैं||■
तुम चलो हम आ रहे हैं
जरा दोस्तों से हाथ मिला रहे हैं।
न जाने फिर कब मिल पाएंगे
जिनको आज छोड़कर जा रहे हैं।
काटी थी जिनके संग मस्ती
घूमी थी जिनके संग सारि बस्ती।
उनसे ही दूरी बना रहे हैं
तुम चलो हम आ रहे हैं।
जरा यारों को गले लगा रहे हैं
न जाने कब फिर साथ बैठ पाएँगे
आज के जाने के बाद फिर कब
एक-दूसरे को देख पाएंगे।
ये सोच कर ही घबरा रहे हैं
तुम चलो हम आ रहे हैं।
बनकर साया रहते थे जो
भाई अपना कहते थे जो,
इन नन्ही सी आँखों से
ओझल वो होने जा रहे हैं।
तुम चलो हम आ रहे हैं।