√√ *हमें मन निरभिमान का वर देना 【भक्ति-गीत】*
हमें मन निरभिमान का वर देना 【भक्ति-गीत】
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दया करो हे नाथ हमें मन निरभिमान का वर देना
(1)
संयम से जीना सीखें, मर्यादा का व्यवहार करें
शुद्ध हृदय के वाहक हों, शुभ भावों का संचार करें
हमको जीवन-पथ पर प्रभुवर ! निर्मल बुद्धि प्रखर देना
(2)
पथ में मिलें सफलताएँ या असफलताएँ ही आएँ
बनें धैर्यशाली हे प्रभु ! संयम जीवन में अपनाएँ
जीवन को संतोष-परमधन की सुगंध से भर देना
(3)
जाति-पंथ के भेदों को हम त्यागें, नई सुबह लाएँ
जग में चाहे रहेंं जहाँ हम ,पर मानव ही कहलाएँ
बनें श्रेष्ठ मानव विचार मानवतावादी कर देना
(4)
यत्न करें हम किसी नदी का मैला कभी न पानी हो
घर में गंगाजली सँजोए यादें पुनः सुहानी हो
हँसते हुए पहाड़ों-पेड़ों का आह्लादित स्वर देना
दया करो हे नाथ हमें मन निरभिमान का वर देना
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451