√√ *एक पहेली तुम बन जाओ 【भक्ति गीत】*
एक पहेली तुम बन जाओ 【भक्ति गीत】
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एक पहेली तुम बन जाओ, प्रियतम ! मैं सुलझाऊँ
(1)
रोज सबेरे उठकर मन में चाहूँ तुमको पाना
आँख बन्द कर देखूँ क्या है हुआ तुम्हारा आना
भावों में भर भाँति-भाँति से ,तुमको प्रिये रिझाऊँ
(2)
रूप तुम्हारा मुखड़ा कैसा ,अब तक देख न पाया
गली-गाँव या शहर तुम्हारा किंचित हाथ न आया
टेढ़ी खीर बहुत है कैसे ,पास तुम्हारे आऊँ
(3)
अच्छी लगती है यह उलझन, इसमें समय बिताना
अच्छा लगता इस उलझन के ,ही होकर रह जाना
अच्छी लगने लगी पहेली, दिल की बात बताऊँ
एक पहेली तुम बन जाओ, प्रियतम मैं सुलझाऊँ
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451