√√ आभार तुम्हारा 【भक्ति-गीतिका 】
आभार तुम्हारा 【भक्ति-गीतिका 】
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
सच पूछो तो बहुत दिया तुमने आभार तुम्हारा
वाणी दी अनमोल ,प्रबल विद्या-भंडार तुम्हारा
(2)
चेतनता से युक्त प्रभो ,मन-बुद्धि तुम्हीं से पाते
उठता जो मस्तिष्क-क्षेत्र में ,हर सुविचार तुम्हारा
(3)
पैरों से चलते ,हाथों से करते कार्य सभी हैं
देख रही आँखें ,उदारता का शुभ द्वार तुम्हारा
(4)
दिया तुम्हारा भोजन खाते हैं रुचिकर बलवर्धक
उन्हें पचाता उदर ,जहाँ पर सब अधिकार तुम्हारा
(5)
पत्नी पति संतान मित्रगण और पड़ोसी पाए
दिया इस तरह वसुधा का ,सुंदर परिवार तुम्हारा
————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451