√√पतिदेवों अब सीखो (हास्य गीत)
पतिदेवों अब सीखो (हास्य गीत)
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पतिदेवों अब सीखो घर के करना सारे काम
(1)
पत्नी रोटी बेले , पूड़ी घी में तलना सीखो
हँसते – हँसते घर में आलू सदा छीलते दीखो
बर्तन माँजोगे तो होगा जग में ऊँचा नाम
(2)
नौकर- चाकर का युग बीता झाड़ू आप लगाओ
रगड़ – रगड़कर पोछे से सारे घर को चमकाओ
जो पत्नी का हाथ बँटाते उनका घर सुखधाम
(3)
भूलो हुक्म चलाना , पीना है तो चाय बनाओ
पत्नी जी के लिए एक कप ज्यादा लेकर आओ
नया दौर है यह अब किसकी किस्मत में आराम
पतिदेवों अब सीखो घर के करना सारे काम
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451