∆■हसीं लम्हों तुम्हें लोटना होगा■∆
कोई अपना तुम्हारा ग़मों की भीड़ से घिरा है।
तड़प रही है आत्मा उसकी वो बुरी सी किसी
तक़दीर से घिरा है।
थक गया है वो चूर हो होकर
जी रहा है ज़िन्दगी मजबूर हो होकर।
उसके बारे में कुछ भला तुम्हे सोचना होगा।
हसीं लम्हों तुम्हे लोटना होगा।
जहन्नुम जा बनी है तुम्हारे किसी अपने की हालत
चन्द साँसों की है पास उसके मौहलत
कोई साथी नही उसका तुम्हे ख़ुद को उसे सोंपना होगा।
हसीं लम्हों तुम्हें लोटना होगा।
जल बुझ रहे हैं हयात ऐ चिराग़ उसके
साथ दे नही रहे भाग उसके।
छिप रहा उसकी ज़िन्दगी का चाँद,
बद से बत्तर हो रहे जज़्बात उसके।
उसकी ओर बढ़ रहे अँधेरों को तुम्हें रोकना होगा,
हसीं लम्हों तुम्हें लोटना होगा।
देर न करो अब चले आओ
के वो छण आख़िरी गिनने लगा है।
क़फ़न से करने लगा है बातें,
मौत से मिलने लगा है।
बंजर जीवन मे उसके इक़ नया खुशी का
पौधा तुम्हें रोपना होगा,
हसीं लम्हों तुम्हें लोटना होगा।
सींसे से साफ़ दिल मे उसके गहरी दरार आ पड़ी है
बता नही सकता खुलकर ऐसी नाज़ुक घड़ी है।
लग रही हैं पुरानी यादों की कुछ टीसें उसे
दुःख भरी दास्तातने उसके दरवाजे आ खड़ी हैं।
के उसे हँसाने का कोई रास्ता तुम्हें खोजना होगा।
हसीं लम्हों तुम्हें लोटना होगा।