Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2023 · 1 min read

তোমার অপেক্ষা

যেভাবে নদী করে অপেক্ষা
সমুদ্রে হারিয়ে যেতে।
যেভাবে পাহার করে অপেক্ষা
বরফের চাদরে ঢেকে যেতে।
যেভাবে মেঘ করে অপেক্ষা
বৃষ্টি হয়ে ঝরে পরতে।
যেভাবে তুলি করে অপেক্ষা
রঙ হয়ে ছড়িয়ে পরতে।
যেভাবে ফুল করে অপেক্ষা
বসন্তে ফুটে ওঠতে।
সেভাবেই তোমার অপেক্ষায় আমি
হারিয়ে যেতে, ঢেকে যেতে, ঝরে পরতে, ছড়িয়ে পরতে, ফুটে ওঠতে।

198 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" बेताबी "
Dr. Kishan tandon kranti
3178.*पूर्णिका*
3178.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भूत अउर सोखा
भूत अउर सोखा
आकाश महेशपुरी
एक नस्ली कुत्ता
एक नस्ली कुत्ता
manorath maharaj
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Teacher
Teacher
Rajan Sharma
क्योंकि वह एक सिर्फ सपना था
क्योंकि वह एक सिर्फ सपना था
gurudeenverma198
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे  दिया......
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे दिया......
Rakesh Singh
कपट
कपट
Sanjay ' शून्य'
गर्मी और नानी का घर
गर्मी और नानी का घर
अमित
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
Ravi Betulwala
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
गंगा सेवा के दस दिवस (प्रथम दिवस)
गंगा सेवा के दस दिवस (प्रथम दिवस)
Kaushal Kishor Bhatt
अक्सर हम ज़िन्दगी में इसलिए भी अकेले होते हैं क्योंकि हमारी ह
अक्सर हम ज़िन्दगी में इसलिए भी अकेले होते हैं क्योंकि हमारी ह
पूर्वार्थ
ख्याल तुम्हारा आता है जब रात ये आधी लगती है*
ख्याल तुम्हारा आता है जब रात ये आधी लगती है*
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
*बचकर रहिएगा सॉंपों से, यह आस्तीन में रहते हैं (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
परिंदों का भी आशियां ले लिया...
परिंदों का भी आशियां ले लिया...
Shweta Soni
पर्वतों और मैदानों में अहम होता है
पर्वतों और मैदानों में अहम होता है
Neeraj Agarwal
दिल बयानी में हर शख्स अकेला नज़र आता है,
दिल बयानी में हर शख्स अकेला नज़र आता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर  मौन  प्रभात ।
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
sushil sarna
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
Sangeeta Beniwal
हवेली का दर्द
हवेली का दर्द
Atul "Krishn"
ईश्वर कहो या खुदा
ईश्वर कहो या खुदा
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सौंदर्य छटा🙏
सौंदर्य छटा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जब किसान के बेटे को गोबर में बदबू आने लग जाए
जब किसान के बेटे को गोबर में बदबू आने लग जाए
शेखर सिंह
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
Environment
Environment
Neelam Sharma
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
Suryakant Dwivedi
नज़्म _मिट्टी और मार्बल का फर्क ।
नज़्म _मिट्टी और मार्बल का फर्क ।
Neelofar Khan
..
..
*प्रणय प्रभात*
Loading...