६ क्षणिकाएं / त्रिवेणी छंद
बदली गायब है l
धूप निकली है l
जिंदगी सही चली है l
अंदर हल्ला हो l
और हौसला हो l
जीवन पहला हो l
भीतर जलन है l
जला रही अगन है l
ना जीवन है l
चलो इश्क करें l
जीवन बिखेरें l
बेमौत मरें l
चलो जश्न मनाये l
खुशियाँ कमायें l
दुनिया भूल जायें l
विषय प्यास है l
गलत सांस है l
जीवन न ख़ास है l
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न