२४२. पर्व अनोखा
हिन्दी काव्य-रचना संख्या: 242.
शीर्षक: “पर्व अनोखा”
(बुधवार, 28 नवम्बर 2007)
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दीपावली का पूर्व अनोखा,
खुशियों भरा लगे झरोखा |
मंगल गाएं चौक पुराएं,
आया वर्षों बाद ये मौका।।
आओ अनुपम बनाएं मिलके
दीपावली त्यौहार को।
एक नया उपहार दें
समाज को संसार को ।।
ख्वाबों के सागर में दौड़ाएं
सपनों की ये अनुपम नौका ।
मंगल गाएं चौक पुराए
आया वर्षों बाद ये मौका।।
मौसम बना दें
मिलके सुहाना।
कैसा सुन्दर
मिला बहाना।।
जगमग जग में
धरती नभ में
सुन्दर झाँकी – सम् लगे झरोखा |
मंगल गाएँ चौक पुराएं
आया वर्षों बाद ये मौका ।।
-सुनील सैनी “सीना”
राम नगर, रोहतक रोड़, जीन्द (हरियाणा) -१२६१०२.