सहयोग से हर कार्य सम्भव #१०० शब्दों की कहानी#
दिपावली के त्यौहार पर लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन अचानक ही मेरी बहन का फोन आया कि वह शाम को मिलने आ रहें हैं । इस त्यौहार को मनाने के लिए सफाई का काम करके थकावट हो जाती है, तो मैं मन ही मन सोच रही थी कि क्या स्पेशल बनाया जाए ? जबकि दूसरे दिन मेरे बच्चों को भी पुणे जाना था ।
इतने में मेरी बेटी और बेटे ने योजना बनाई कि पाव भाजी, चटनी व गाजर का हलवा बनाते हैं मम्मी । बस फिर क्या था, मैं, मेरे पति और बच्चों ने मिलकर एक घंटे तक सब बना लिया और बहन, जिजाजी व बच्चों के साथ सबने मिलकर बड़े चाव से खाया और यही वो पल था जब मैं बहुत खुश थी क्योंकि आपसी सहयोग से हर कार्य सम्भव व सफल होते हैं । मुझे मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मिली और यकीन हो गया कि बच्चे जीवन में हर कार्य को आसानी से कर सकते हैं ।