०अर्कान – मफाईलुन मफाईलुन फऊलुन
०अर्कान – मफाईलुन मफाईलुन फऊलुन
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विषय :- प्रेम विरह गीत
रस :- श्रृंगार ( वियोग )
छंद :- विजात छंद
#मुखड़ा
तुम्हें देखूँ सँवर जाऊँ।
न देखूँ तो बिखर जाऊँ।।
#अंतरा-१
तुम्हारे बिन सुनो कृष्णा।
मुझे जीवन लगे तृष्णा।।
बनी जोगन खड़ी राधा।
तुम्हें चाहा तुम्हें साधा।।
बिछड़ना सोच डर जाऊँ।
न देखूँ तो बिखर जाऊँ।।
#अंतरा-२
मिलन राधा मदन तरसे।
सुनी मुरली चली घर से।।
हृदय गिरधर मिटा पीड़ा।
करें मिलकर मधुर क्रीड़ा।।
सँवरिया घुट न मर जाऊँ।
न देखूँ तो बिखर जाऊँ।।
#अंतरा-३
मयूरा मन नहीं हुलसा।
मदन मोहन हिया झुलसा।।
जिया रुक जा जरा थम जा ।
कहे मोहन मदन रम जा ।।
प्रणय सर में उतर जाऊँ।
न देखूँ तो बिखर जाऊँ।।
#अंतरा-४
गिरे बिजली जलद बरसे।
मिलन को राधिका तरसे।।
हिया जोगन तरसता है।
विरह बन सर्प डसता है।।
बता दे किस नगर जाऊँ।
न देखूँ तो बिखर जाऊँ।।
नीलम शर्मा ✍️